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M. | G. | M. | G. | |||
Fischer | 1 | – | Nähterinnen | 11 | 4 | |
Flaschner | 6 | 4 | Pferdevermiether | 1 | – | |
Frachtfuhrleute | 1 | 2 | Pflästerer | 8 | – | |
Gärtner | 5 | 1 | Putzmacherinnen | 4 | – | |
Glaser | 18 | 4 | Rothgerber | 9 | 10 | |
Goldarbeiter | 7 | 2 | Seifensieder | 9 | 4 | |
Gürtler | 3 | – | Salzsieder | 46 | – | |
Hafner | 8 | 5 | Seiler | 8 | 3 | |
Hauderer | 29 | 6 | Sattler | 10 | 4 | |
Holzdreher | 3 | – | Seckler | 7 | 1 | |
Holzmesser | 4 | – | Schirmmacher | 2 | – | |
Hufschmiede | 10 | 11 | Schlosser | 14 | 10 | |
Hutmacher | 2 | 1 | Schneider | 43 | 19 | |
Instrumentenmacher | 1 | 1 | Schreiner | 22 | 10 | |
Kaminfeger | 2 | 2 | Schuhflicker | 1 | – | |
Kammmacher | 4 | – | Schuhmacher | 50 | 22 | |
Karrenfuhrleute | 4 | – | Siebmacher | 3 | – | |
Kleemeister | 1 | 1 | Siegellackfabrikanten | 1 | – | |
Knopfmacher | 2 | – | Stärkemacher | 1 | – | |
Kornmesser | 3 | – | Steinhauer, zugl. Maurer | 6 | 49 | |
Kübler | 24 | 7 | Strumpfweber | 1 | – | |
Küfer | 17 | 9 | Tuchmacher | 6 | 4 | |
Kürschner | 4 | 1 | Tuchscheerer | 1 | 1 | |
Kupferschmiede | 4 | 2 | Uhrenmacher | 5 | 2 | |
Lakierer | 1 | – | Wagenspanner | 2 | – | |
Leineweber | 11 | 4 | Wagner | 4 | 3 | |
Lohnfuhrleute | 2 | 2 | Weißgerber | 1 | – | |
Lumpensammler | 2 | – | Weißputzer | 1 | – | |
Maler | 4 | 3 | Zeugmacher | 3 | 3 | |
Maurer | – | 33 | Zimmergesellen | 29 | – | |
Messerschmiede | 4 | 2 | Zimmermeister | 7 | 23 | |
Mezger | 22 | 6 | Zinngießer | 3 | 2 | |
Mühlarzt | 1 | – | Zirkelschmiede | 4 | 1 | |
Musiker | 4 | 4 | Zuckerbäcker | 11 | 2 | |
Nagelschmiede | 12 | 4 |
Der Steueranschlag der Gewerbe auf den 1.Juli 1845 war 4320 fl. 58 kr., also beinahe 2/3 des Steueranschlages des Oberamtes (siehe o. S. 103).
Die Stadt hat 3 Jahr- und 4 Vieh-Märkte, wozu seit 1847 noch 2 Schafmärkte kommen,[1] und 3 Wochenmärkte, wovon
- ↑ Da die Jahrmärkte von Jahr zu Jahr besuchter werden und die hiefür bestimmten Räume nicht mehr zureichen, so möchte die angetragene
Empfohlene Zitierweise:
Rudolph Friedrich von Moser: Beschreibung des Oberamts Hall. Verlag der J. G. Cotta’sche Buchhandlung, Stuttgart und Tübingen 1847, Seite 133. Digitale Volltext-Ausgabe bei Wikisource, URL: https://de.wikisource.org/w/index.php?title=Seite:OAHall0133.png&oldid=- (Version vom 1.8.2018)
Rudolph Friedrich von Moser: Beschreibung des Oberamts Hall. Verlag der J. G. Cotta’sche Buchhandlung, Stuttgart und Tübingen 1847, Seite 133. Digitale Volltext-Ausgabe bei Wikisource, URL: https://de.wikisource.org/w/index.php?title=Seite:OAHall0133.png&oldid=- (Version vom 1.8.2018)